2 से 10 साल की न्यूनतम सजा और अधिकतम सजा 20 साल तथा 2 लाख का जुर्माना भी है। दुबारा अपराध करने से सजा बढ़ जाती है ? नशा उन्मूलन पर कार्यक्रम दूसरे दिन भी जारी
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2 से 10 साल की न्यूनतम सजा और अधिकतम सजा 20 साल तथा 2 लाख का जुर्माना भी है। दुबारा अपराध करने से सजा बढ़ जाती है ? नशा उन्मूलन पर कार्यक्रम दूसरे दिन भी जारी

नशा उन्मूलन पर कार्यक्रम दूसरे दिन भी जारी, लोक अदालत पर किया गया फोकस

नशा दीमक के तरह मानव शरीर को नष्ट करता है : राजेश कुमार सिन्हा

ऽ एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने संविधान के अनुच्छेद 47 पर किया फोक

RANCHI- –माननीय झालसा के निर्देश पर माननीय न्यायायुक्त-सह-अध्यक्ष के मार्गदर्शन में आज दिनांक 05.08.2024 को संत जोन्स इंगलिश मीडियम स्कूल, रांची में नशा उन्मुलन पर जागरूकता कार्यक्रम किया गया। इस अवसर पर एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा, मध्यस्थ पी.एन. सिंह, लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा, सीआईडी, मनोज कुमार, डी.एस.पी. सी.टी., राज कुमार मेहता, पीएलवी, संगीता सिंह, संगीता देवी एवं संत जॉन्स इंगलिश मीडियम स्कूल के प्रधानाध्यापक, शिक्षक-शिक्षिकाए व अन्य उपस्थित थे।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए एलएडीसी अधिवक्ता राजेश कुमार सिन्हा ने मानव औषधियां और मनःप्रभावी पदार्थ-1985 के अधीन अफीम, गांजा, हिरोईन, ब्राउन शुगर एवं अन्य तरह के मादक पदार्थों के बारे में बतलाया तथा व्यापार करना तथा अफीम की खेती करने से संबंधित अपराध के बारे में जानकारी दी एवं औषधि और प्रसाधन सामाग्री अधिनियम 1940 के बारे में छात्र-छात्राओं को बताया। इन पदार्थों की खरीद-विक्र, भंडारण, उपभोग, उपयोग, एक राज्य से दूसरे राज्य में तस्करी करना जो कानूनन अपराध है तथा इस अपराध की सजा के बारे में जानकारी दियी। इसके अलावा एनडीपीएस, एनसीबी तथा संविधान के अनुच्छेद – 47 के संबंध में फोकस किया। सजा को तीन कैटेगरी स्मॉल, इंटरमीडिएट, कॉमर्शियल में बांटा गया है। इसमें 2 से 10 साल की न्यूनतम सजा और अधिकतम सजा 20 साल तथा 2 लाख का जुर्माना भी है। दुबारा अपराध करने से सजा बढ़ जाती है।

मध्यस्थ पी.एन. सिंह ने कहा कि नशा हम सब के लिए एक अभिशाप है, जो हमारे समाज में आम है। अच्छी शिक्षा के अभाव में लोग कम उम्र में ही नशा जैसे अन्य शारीरिक परिणामों का शिकार हो जाते हैं और आजीवन नशे की लत में रहते हैं। नशा मुक्ति का अर्थ होता है किसी व्यक्ति या समाज को नशे से मुक्त करना, अर्थात् नशे का सेवन करने से बचाव या उसकी नशा को दुर करने का प्रयास है। ड्रग्स लेने से मस्तिष्क खराब हो जाता है। सोचने की क्षमता समाप्त हो जाता है।
सीआईडी, मनोज कुमार ने संबोधित करते हुए कहा कि नशा से शारिरीक, मानसिक एवं आर्थिक हानि होत है। नशा में व्यक्ति चोरी करना शुरू कर देता है। नशा के चपेट में आकर नशीली पदार्थों का सेवन कर युवा वर्ग अपने अनमोल जीवन को नष्ट कर रहे है। नशा से पूरा घर-परिवार बरबाद हो जाता है। नशा के रोकथाम के लिए कई कार्य विभिन्न संस्थाओं द्वारा किया जा रहा है।

लाईफ सेवर्स एनजीओ के अतुल गेरा के द्वारा भी नशा उन्मूलन पर प्रकाश डाला गया, उन्होंने नशा से होने वाले प्रभाव के बारे में विस्तार से बताया। उन्होंने कहा कि नशा न कर मनुष्य स्वस्थ रहता है। नशा शरीर की गुणवत्ता को समाप्त कर देता है। इसका प्रभाव पूरे परिवार पर पड़ता है। नशा से परिवार का आर्थिक, मानसिक और शारीरिक क्षति होता है, जिसका भरपाई कदापी नहीं किया जा सकता है। उन्होंने आगे कहा कि नशा के आदि व्यक्ति का पूरा पैसा नशा करने में खर्च होता है, जिसका प्रभाव उसके परिवार पर पड़ता है और परिवार नष्ट हो जाता है। नशा का आदि व्यक्ति पागलों की तरह इधर-उधर घुमता रहता है, जिससे उसका मान-सम्मान भी समाप्त हो जाता है।
यह भी ज्ञात हो कि 14 सितम्बर को होनेवाले राष्ट्रीय लोक अदालत के बारे में भी छात्र-छात्राओं को बताया गया तथा उनके बीच नशा से संबंधित लिफलेट और पम्पलेट का वितरण भी किया गया।